प्रणाम जी सखियो
चलें
बंगला जी चबूतरा पर
हद बेहद से परे अपना घर
परमधाम
परंधाम के ठीक मध्य में स्थित रंगमहल
तो चले रंगमहल की उत्तर दिशा की और
पुखराज पर्वत के पूर्व दिशा में 100000 कोस का लंबा चौड़ा चौरस चबूतरा बंगला जी का आया हैं
खुद को चबूतरे के सामने पुखराजी रोंस पर महसूस करे
देखे सामने भोंम भर ऊँचा चबूतरा
हर दिशा में 250-250- हांस
दो हांसों के मध्य से सीढ़ियाँ तरहती में उतरी हैं
और एक हांस को देखिए
विशाल गुर्ज
सुंदर रंगों की शोभा
हर हांस में बदलते रंग
और गुर्ज के दोनों और से चढ़ती सीढ़ियाँ
तो चले हम सब प्यारी धाम की सखियाँ
गलबाहियाँ डाल कर सीढ़ियों की और चले
सीढ़ियाँ चढ़ रहे हैं
पहली सीढ़ी पर कदम धरे
ओहो ! कितनी मुलायम गिलम
पाँव रखते ही मानो घुटनो तक धँस रहे हो
अति कोमल
सुगंधी
चेतनता
एक हाथ को बंगला की के चबूतरा की दीवार और दूसरे हाथ चढ़ती हुई रेलिंग
चबूतरा के दीवार पर आए चेतन चित्रामन भी आपके साथ कदम से कदम मिलकर चल रहे हैं
रेलिंग की खूबसूरती तो देखिए
रंगों नंगों से सजी
नक्काशी से जड़ी हुई
सीढ़ियाँ चढ़ कर चबूतरा पर आए
देखी वृक्षों की हार
हज़ार हांस में घेर कर आएँ बडो वन के नूरी वृक्ष
अलग अलग रंगों से महकते महकाते
पाँच हार
इन वृक्षों की पाँचों हारों की अलौकिक शोभा तो निहारे
एक भोंम की शोभा
और एक ही भोंम में पाँच भोंम समाहित हैं
अत्यंत ऊँची इनकी भोमे
पाँच हार वृक्षों के बीच बने चौक
वृक्षों की महेराबों में आए फूलों के हिंडोलें
वृक्षों की शीतल छाया
सुखों में झीलते वृक्षों की पाँच हार पार की
तो देखे
अद्भुत शोभा
फिलपायों की चार हारे घेर कर सुशोभित हैं
अति सुंदर फिलपाए
और ज़रा नज़र तो उठाइए सखियों
फिलपायों के ऊपर बने घौड़े ,हाथी ,गेंदों के मुख
और विशाल जानवरों के मुखों से निकलता धाम का नूरी जल
जल के पूर
देखे तो सही यह जल कहाँ जा रहा हैं ?
फिलपायों के आगे पुनः बडो वन के वृक्षों की पाँच हारे आईं हैं --और इनके आगे बंगलो और चहेबच्चों की जगह आईं हैं -आड़ी खड़ी नहरों के दरम्यान 96 की 96 हार चौक आएँ हैं --यह चौक भोंम भर ऊँचे उठे हैं इन्ही पर बंगलो और चहेबच्चों की शोभा आईं हैं ---
तो जो यह आड़ी खड़ी नहेरें हैं यहाँ भी जहाँ नहेरे कटती हैं वहाँ चहेबच्चा आया हैं
तो घौड़ो ,हाथी के मुखों से निकलता जल का पूर बडो वन की महेराबो से होता हुआ पहली हार चहेबच्चों में गिरता हैं
तो साथ जी यह अद्भुत ,अति मनोहारी दिल को छू जाने वाली शोभा निहारीए
हम सब सखियाँ बडो वन में हैं
हिंडोलें खुल कर नीचे आ गये
आइए उन पर बैठे
झूला झूले
और नज़रे ऊपर तो दिखी
जल की धाराएँ
जो फिलपायों के मुखों से निकल कर चहेबच्चों में जाकर गिर रही है
तो कुछ बूँदीयाँ आको भी भिगो रही है
भीगे ना
आपको भी
वृक्षों की शीतल छाया
सखियों का साथ
और ऊपर से जल का महेराब बना कर गुजरना
कहीं देखा ऐसा नज़ारा
ये तो हमारे पिया का लाड़ जो हमे भिगो रहा हैं
और एक शोभा बंगले के पूर्व मे मध्य मे दहलान आई है जिसकी वजह से पैड और फीलपाए कुछ कम हुए हे ! यह दहलान अधबीच के कुंड मे पश्चिम मे आई दहलान से मिलान किए है ! इस दहलान मे चौड़ाई तरफ 8 और लंबाई तरफ 14 थम्ब आने से दहलान मे 4 नहरो ओर तीन बैठक की शोभा आई है !
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