रंगमहल की शोभा --घेर कर आएँ हांस
🌷धनी श्री धाम 🌷
मेरी रूह धाम द्वार की शोभा देख --दो भोंम ऊँचा धाम द्वार
दर्पण रंग का झिलमिल करता द्वार और हरित बेनी
और एक सीढ़ी ऊँची सेंदुरियाँ रंग की चौखट
दर्पण के द्वार के ऊपर छोटी महेराब की शोभा और महेराब के ठीक ऊपर मनोहारी झरोखा
और देखिए दूजी भोंम में शोभा बढ़ाते दो द्वार ओए छः जाली द्वार
धाम द्वार के दोनों और दो चबूतरा जिनकी छत दूजी भोंम में झरोखा बन शोभा दे रही हैं
2 मंदिर का हमारा धाम द्वार और द्वार के दोनों और चार चार मंदिर की जगमगाते चबूतरा जिनकी पूर्व किनार पर हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और नीलवी के थम्भ सुशोभित हैं
तो इस प्रकार मेरी रूह तुमने धाम द्वार के लिए आए दस मंदिर के पूर्व की और हांस की शोभा देखी और अब देख तू घेर कर आए 200 हांस की शोभा 🌺
भोम भर ऊँचे चबूतरे पर झलकार करता रंगमहल 201 पहल का आया हैं | दरवाजे का हांस 10 मंदिर का हैं और घेर कर 30-30 मंदिर के हांस आएँ हैं |
दरवाजे की शोभा के वास्ते बने दस मंदिर की मनोहारी शोभा रूह निरखती हैं – मध्य में आएँ दो मंदिर के चौड़े और ऊँचे धाम द्वार की शोभा अत्यंत ही सुंदर ,मनभावन हैं -मध्य में नूरमयी दर्पण का द्वार और द्वार में झलकते सामने आएं अमृत वन के दृश्य ,पशु पक्षियों की लीला –हरित रंग में जगमगाती बेनी और सेंदुरियाँ रंग की चौखट | द्वार के दाएँ बाएँ आएँ चबूतरे द्वार की शोभा को कोट गुणा बड़ा रहें हैं |
रूह देखती हैं ,,घेर कर आएँ हांसों की शोभा -दस मंदिर के हांस के दाएँ बाएँ 25-25 मंदिर के हांस आएँ हैं और घेर कर आएँ शेष हांस 30-30 मंदिर के हैं | चबूतरे की किनार पर जवेरातों से जडित कठेड़ा और भीतरी तरफ घेर कर आईं एक मंदिर की धाम रोंस –रूह के कदम अपने आप ही बढ़ जाते हैं ,मैं अपने घर को चारों ओर से देखूं —रूह देखती हैं पूर्व मे आएँ सात वन ,दक्षिण में बटपीपल की चौकी की झलकार और पश्चिम में फूलों की महक रूह ने महसूस की और उत्तर दिशा में लाल चबूतरा ,ताड़ वन और स्वर्णिम महक से झिलमिलाता आसमान को स्पर्श करता हुआ पुखराज पहाड़ |
और रूह देखती हैं ,घेर कर आएँ मंदिरों की बाहिरी दीवार की शोभा – बाहिरी दीवार में दो-दो द्वार हैं और मध्य में झरोखा सुशोभित हैं | और एक मनभावन शोभा ,द्वारों और झरोखे के दोनों और नूरमयी जवेरातों से जगमग करते और फूलों से भी कोमल जाली द्वार शोभा ले रहे हैं |
उत्तर दिशा में झरोखे के स्थान पर भी द्वार हैं |
मेरी रूह धाम द्वार की शोभा देख --दो भोंम ऊँचा धाम द्वार
दर्पण रंग का झिलमिल करता द्वार और हरित बेनी
और एक सीढ़ी ऊँची सेंदुरियाँ रंग की चौखट
दर्पण के द्वार के ऊपर छोटी महेराब की शोभा और महेराब के ठीक ऊपर मनोहारी झरोखा
और देखिए दूजी भोंम में शोभा बढ़ाते दो द्वार ओए छः जाली द्वार
धाम द्वार के दोनों और दो चबूतरा जिनकी छत दूजी भोंम में झरोखा बन शोभा दे रही हैं
2 मंदिर का हमारा धाम द्वार और द्वार के दोनों और चार चार मंदिर की जगमगाते चबूतरा जिनकी पूर्व किनार पर हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और नीलवी के थम्भ सुशोभित हैं
तो इस प्रकार मेरी रूह तुमने धाम द्वार के लिए आए दस मंदिर के पूर्व की और हांस की शोभा देखी और अब देख तू घेर कर आए 200 हांस की शोभा 🌺
भोम भर ऊँचे चबूतरे पर झलकार करता रंगमहल 201 पहल का आया हैं | दरवाजे का हांस 10 मंदिर का हैं और घेर कर 30-30 मंदिर के हांस आएँ हैं |
दरवाजे की शोभा के वास्ते बने दस मंदिर की मनोहारी शोभा रूह निरखती हैं – मध्य में आएँ दो मंदिर के चौड़े और ऊँचे धाम द्वार की शोभा अत्यंत ही सुंदर ,मनभावन हैं -मध्य में नूरमयी दर्पण का द्वार और द्वार में झलकते सामने आएं अमृत वन के दृश्य ,पशु पक्षियों की लीला –हरित रंग में जगमगाती बेनी और सेंदुरियाँ रंग की चौखट | द्वार के दाएँ बाएँ आएँ चबूतरे द्वार की शोभा को कोट गुणा बड़ा रहें हैं |
रूह देखती हैं ,,घेर कर आएँ हांसों की शोभा -दस मंदिर के हांस के दाएँ बाएँ 25-25 मंदिर के हांस आएँ हैं और घेर कर आएँ शेष हांस 30-30 मंदिर के हैं | चबूतरे की किनार पर जवेरातों से जडित कठेड़ा और भीतरी तरफ घेर कर आईं एक मंदिर की धाम रोंस –रूह के कदम अपने आप ही बढ़ जाते हैं ,मैं अपने घर को चारों ओर से देखूं —रूह देखती हैं पूर्व मे आएँ सात वन ,दक्षिण में बटपीपल की चौकी की झलकार और पश्चिम में फूलों की महक रूह ने महसूस की और उत्तर दिशा में लाल चबूतरा ,ताड़ वन और स्वर्णिम महक से झिलमिलाता आसमान को स्पर्श करता हुआ पुखराज पहाड़ |
और रूह देखती हैं ,घेर कर आएँ मंदिरों की बाहिरी दीवार की शोभा – बाहिरी दीवार में दो-दो द्वार हैं और मध्य में झरोखा सुशोभित हैं | और एक मनभावन शोभा ,द्वारों और झरोखे के दोनों और नूरमयी जवेरातों से जगमग करते और फूलों से भी कोमल जाली द्वार शोभा ले रहे हैं |
उत्तर दिशा में झरोखे के स्थान पर भी द्वार हैं |
अब रूह देखती हैं कि एक मंदिर की अलौकिक शोभा -मंदिर 100 हाथ का लंबा चौड़ा आया हैं | चारों और द्वारों की शोभा बेमिसाल हैं |हे मेरी रूह ,इन द्वारों में आएं कमाड़ो पर बहुत ही महीन चित्रामन सुसज्जित हैं | इन चित्रामन में जो तू रंग ,नंग देख रही हैं और जो ऊपर से फूल पत्तियों हैं वह सब जवाहारतों का हैं ,चेतन हैं | हो भी क्यों ना ? संपूर्ण शोभा श्रीराज जी के नूर हैं | श्रीराज जी ने ही रूहों को रिझाने के लिए विध-विध के रूप धरे हैं |
मंदिर नई नई जुगति से शोभा ले रहें हैं | कहीं फूलों से महकते मंदिर आएं हैं तो कई जवेरातों से जड़े मंदिर हैं ,कोई कोई मंदिर एक ही रंग में झलकार कर रहा हैं तो दूसरे मंदिर में अनेक रंग रोशन हैं | मेरी रूह ,इन मंदिरों की शोभा को बार बार निरख ,
मंदिरों के भीतर आईं शोभा ,साजो समान का क्या वर्णन हो
एक मंदिर मे क्या कुछ नहीं -सिंघासन ,कुरिसयों की शोभा ,हिंडोलें ,नूरी सेज्या ,चौकिया़ं ,संदूक ,सिनगार की सर्व सामग्री -,हर जोगबाई मंदिरों में हाजिर हैं रूह को रिझावन खातिर —
ए मैं क्यों कर करूं बरनन, तुम लीजो कर चितवन ।
नव भोम सबों के मंदर, देखो बस्तां अपनी चित धर ।3/70 परिक्रमा
सेज्या सबन के सिनगार, हिरदें लीजो कर निरधार ।
सब जोगवाई है पूरन, कमी नाहीं काहूंमें कीन ।। 3/71
हांस बिलास सनेह प्रेम प्रीत, सुख पियाजी को सबदातीत ।
डबे तबके सीसे सिकीयां, कै देत देखाई लटकतियां ।3/72
चौकियां माचियां सिंघासन, कै हिडोले जंजीर कंचन ।
कै बासन धात अनेक, कै वाजंत्र विविध विसेक ।3/73
कै झीले चाकले दुलीचे विछौंनें, कै विध तलाई सिरानें ।
कै रंग ओछाड गालमसुरे, कै सिरख सोड मन पूरे ।।3/74
हे मेरी रूह,जैसी शोभा प्रथम भोम में देखी हैं वैसे ही ऊपर की नौ भोमों में समझना |
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