Tuesday, 25 July 2017

dham darvaja que-ans

dham dwar ke sammukh

 1⃣धाम  की सौ सीढियां बीस चांदा रूह को कहाँ ले जाकर खड़ा करते हैं ❓    

हे मेरी आत्मा ,खुद को चांदनी चौक में महसूस  कर --चांदनी चौक की मध्य नुरभरी जगमगाती नंगन की दो मंदिर रोंस से धाम की और बढ़ --तेरे दाएं हाथ को लाल वृक्ष हैं और बायीं और हरा वृक्ष --सामने धाम की विशाल सीढियां -
मेरे निजघर की विशाल ,अति मनोहारी सीढियां और एक विशेष शोभा --प्रत्येक पांचवीं सीढ़ी चांदा रूप में आयीं हैं --नूरी ,पिया की आत्मास्वरूपा यह सीढियां मेरी आत्मा को दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक में पहुंचातीं हैं --
 2⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक के चारों कोनों में क्या शोभा आयीं हैं ❓  

दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की शोभा देख --चारों कोनों पर हीरा के अति उज्जवल ,नूरी ,सुखदायी झलकार करते 

चौक की पश्चिम दिशा  की दोनों किनारे पर हीरा के यह थम्भ अकशी आये हैं --दीवार पर चित्रामन के रूप में अद्भुत शोभा लिये --88  हाथ तक थम्भ सीधे गए हैं और 88  हाथ की सुंदर मेहराब नज़रों में आ रही हैं --इन मेहराब के ऊपर 24  हाथ में चित्रकारी आनी  थी पर यह दीवार 104  हाथ की आयीं हैं 

( इन्हीं चौक और दोनों और आएं चबूतरों पर दूसरी भोम में एक छत आती हैं वही तीजी भोम की पड़साल हैं --जो तीसरी भूमिका से तीन हाथ ऊंची शोभित हैं और एक हाथ की जगह तीसरी भोम का छज्जा जो यहाँ नहीं आया हैं तो )

जो चित्रकारी ,नक्काशी 24  हाथ में आनी थी 28  हाथ में आयीं हैं ---मोटे रूप से कह देते हैं कि चौक की छत दो भोम ऊंची हैं पर गहराई से देखे तो छत 204  हाथ ऊंची हैं 

पूर्व दिशा में थंभों पर खुली मेहराब आयीं हैं     

                   
 3⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की नूरी छत कितनी ऊंचाई पर आयीं हैं ❓ 

चौक की छत दो भोम ऊंची हैं पर गहराई से देखे तो छत 204  हाथ ऊंची हैं--                        


4⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की पूर्व दिशा की शोभा का वर्णन करें 

हे मेरी आत्मा --चौक की पूर्व दिशा कि अलौकिक शोभा को अपने धाम ह्रदय में दृढ कर --चौक की पूर्व किनार पर हीरा की खुली अति सुंदर मेहराब --उतरती बादशाही सीढियां --चांदों की अपार शोभा --सीढ़ियों के दोनों किनारों पर उतरते फूलों से सुसज्जित ,कांगरी से सजे कठेड़े की मनोहारी शोभा दिखाई दे रही हैं --सीढियां चांदनी चौक में पहुंचाती हैं --आगे नज़रों में चांदनी चौक की शोभा आ रही हैं झलकारो झलकार --अद्भुत शोभा मेरे धाम की
5⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की पश्चिम दिशा में क्या शोभा आयीं  हैं ❓ 

चौक के पश्चिम दिशा में दोनों किनारों पर हीरा के अकशी थंभों की शोभा आयीं हैं इन पर अकशी मेहराब --मेहराब के ऊपर सुंदर नक्काशी --मेहराब के कोण और दोनों और लाल माणिक के जगमगाते  फूलों की शोभा --

इन सोहनी  मेहराब में धाम दरवाजा की अपार शोभा झलक रही हैं


 6⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की ऊतर दक्षिण की शोभा वर्णन करें ❓      


एक ही पंक्ति में लिखे तो दो मंदिर के चौक की उत्तर दक्षिण दिशा में चौक के साथ लगते दो मंदिर के चौड़े और एक सीढ़ी ऊंचे चबूतरों की शोभा आयीं हैं

हे मेरी सखी  ,खुद को दो मंदिर के चौक में खड़ा कर और पहले देख ऊतर दिशा में आएं चबूतरा की शोभा -चार मंदिर के लंबे और दो मंदिर के चौड़े चबूतरे को निरख --एक सीढ़ी ऊंचा चबूतरा --

दो मंदिर के चौक से चबूतरा पर आ मेरी सखी --पर कैसे मेरे श्री राज जी ?

तो देख मेरी सखी , चबूतरा की और मुख करते ही दो मंदिर के चौक की और आयीं चबूतरा की किनार के मध्य 50  हाथ से एक सीढ़ी चबूतरा पर ले जा रही हैं सीढ़ी के दोनों और 75 -75  हाथ की जगह में अति सुंदर स्वर्णिम कठेड़े की शोभा आयीं हैं --तो इन सीढ़ी से होकर दिल में धनि का मान ले चबूतरा पर आ जा मेरी सखी और देख चबूतरा की अपार शोभा --

नीचे सुन्दर अति कोमल गिलम बिछी हैं और गिलम पर नूरी सिंहासन कुर्सियों की अपार शोभा आयीं हैं और छत पर मोतियों की झलकार लिये सुंदर चंद्रवा सुशोभित हैं -

चबूतरा की पूर्व किनार पर दो मंदिर के चौक की तरफ  से शोभा देखे तो हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और निलवी के थम्भ एक एक मंदिर की दुरी पर आएं हैं -

-(हीरा के थम्भ वहीँ है जो चौक में आये थे )--

थम्बो ने मेहराबे कर दूसरे थम्भ से मिलान किया हैं तो सुन्दर जुगत हुई हैं --दो दो रंगों की मेहराबे शोभित हैं --पांच थंभों के मध्य चार मेहराब हुई -- दो मंदिर के चौक की तरफ से देखे तो पहली मेहराब हीरा-माणिक रंग में है दूसरी माणिक और पुखराज नंग में शोभित हैं ,तीसरी पुखराज और पाच का संगम हैं और चौथी मेहराब पाच और निलवी नंग में सुखदायी झलकार कर रही हैं  ---

थंभों के मध्य सुंदर कठेड़े की शोभा हैं क्योंकि मेरी सखी --आगे भोम भर नीचे चाँदनी चौक की शोभा हैं --

चबूतरा की पश्चिमी किनार मंदिरो से लगी हैं यहाँ भी पूर्व की भांति थंभों की शोभा हैं ..यहाँ पर यह थम्भ अकश मात्र हैं --चबूतरा एक सीढ़ी ऊंचा आया हैं तो एक सीढ़ी नीचे उतर कर मंदिरों में प्रवेश कर सकते है --

चबूतरा की बाहिरी किनार पर नीलवी की मेहराब आयी हैं --दो मंदिर की चौड़ी किनार है जिसमें चांदनी चौक की और से एक मंदिर में कठेड़ा आया हैं आगे 33  हाथ से धाम रोंस पर सीढ़ी उतरी हैं --और सीढ़ी के आगे 66  हाथ ही जगह गुर्ज की शोभा हैं 

इसी तरह से दक्षिण दिशा की शोभा जानना मेरी सखी                        
 चबूतरा की दो भोम आयीं हैं दूसरी भोम में यह झरोखा हुआ

9⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक के उत्तर दक्षिण में चबूतरों की शोभा आयीं हैं उनकी ऊंचाई कितनी हैं ❓ 1⃣0⃣उत्तर/दक्षिण दिशा के चबूतरो की पूर्व किनार पर क्या शोभा आयीं हैं ❓ 1⃣1⃣चबूतरो की पश्चिम दिशा में किनार पर क्या शोभा आयीं हैं ❓ 1⃣2⃣दो मंदिर के चौक से अगर उत्तर या दक्षिण दिशा में आएं चबूतरा पर जाना हैं तो कैसे जायेंगे ❓ इन प्रश्नों का उत्तर भी इसमें शामिल हैं👆👆👆👆

7⃣धाम दरवाजा की शोभा प्रथम भोम में कैसे आयीं हैं ❓                        

8⃣दर्पण रंग के झिलमिलाते धाम द्वार के ऊपर कैसे शोभा आयीं हैं ❓

मेरी सखी ,सौ सीढियां बीस चांदों सहित पार कर जब दो मंदिर के चौक में आते हैं तो सामने दो मंदिर की शोभा लिये धाम दरवाजा की अपार शोभा हैं --पहली भोम में नजर की तो 88  हाथ का दर्पण का नूरी किवाड़ हैं --हरे रंग की बेनी और लाल रंग की एक सीढ़ी ऊंची चौखट आयीं हैं --इन्हीं चौखट पर द्वार की शोभा हैं ---दरवाजे के ऊपर बारह हाथ की नूरी मेहराब शोभित हैं --और दरवाजा के दोनों और 56 -56  हाथ की लाल मणियों जड़ित सुन्दर चित्रामन से सजी नूरमयी दीवार आयीं हैं --

यह शोभा तो हुई धाम दरवाजे के प्रथम भोम की शोभा --अब देखते हैं रूह की नजर से --

धाम दरवाजे के ऊपर आयी बारह हाथ की जो मेहराब आयीं हैं उसके कोण पर और दोनों और लाल माणिक के फूलों की शोभा हैं --इन मेहराब के ठीक ऊपर  तीन हाथ ऊंचा एक झरोखा आया हैं --

दूजी भोम में एक बड़ी मेहराब में नव मेहराबे आयीं हैं --जिनकी शोभा 3+3+3=9 ---तो इस तरह से ह्रदय में बसाते हैं शोभा 

जो ठीक मध्य  की तीन मेहराब हैं  उनमे मध्य की मेहराब में झरोखा आया हैं और दाएं बाएं की मेहराब में नंगों की चित्रामन से युक्त सुन्दर जाली द्वार आयें हैं 

जो दाएं बाएं की तीन तीन मेहराब आयीं हैं --उनके मध्य में दरवाजा आया हैं और दोनों और की मेहराबों में जाली द्वार हैं -यह हुई धाम दरवाजा की दो भोम की मनोहारी शोभा

Thursday, 20 July 2017

धाम दरवाजा


*श्री रंगमहल का दरवाजा ज़मीन से एक भोम की ऊँचाई पर हैं |*

श्री रंगमहल परमधाम के मध्य भोम भर ऊंचे चबूतरे पर स्थित हैं ---परमधाम की जमीन से एक भोम ऊंचा धाम दरवाजा सुशोभित हैं 
 *सौ सीढ़ियाँ और बीस चांदे चढ़कर (एक सौ छोटी सीढ़ियाँ और बीस चाँदे अर्थात बड़ी सीढ़ियाँ )धाम दरवाजे पर जाइए |सीढ़ियों के दोनों तरफ पर कोटे हैं |*


चांदनी चौक से श्री रंगमहल के मुख्य दरवाजा ,हमारे निज घर के धाम दरवाजा पर जाना हैं तो चलते हैं ..चांदनी चौक के पश्चिम दिशा में --जहाँ से धाम की विशाल सीढियां चढ़ी हैं --दो मंदिर की लंबाई लेकर शोभित धाम की सीढियां और प्रत्येक पांचवीं सीढ़ी के साथ आया पांच हाथ का चान्दा रूह की नजर से निरखती हैं --सीढ़ियों के दोनों और परकोटे अर्थात कठेड़े की प्यारी सी शोभा हैं  |जेवरातों से झिलमिलाता कठेड़ा ---सीढियां चढ़ना शरू करते हैं ..पहली सीढ़ी पर पाँव रखते हैं ,अहो !कितनी कोमल गिलम मानो पाँव वही थम से जाते हैं --धाम के चेतन सीढियां --पाँव खुद से सीढ़ियों पर बढ़ते चले जाते हैं --पांचवीं सीढ़ी के साथ चांदा --सीढ़ियों और चाँदों पर आयीं गिलम अलग अलग रंग ,चित्रामन लिये हैं --दोनों और कठेडों के चित्रामन में आएं पशु पक्षी भी उल्लासित हो ,साथ साथ ही आगे बढ़ रहे हैं --उनकी मीठी स्वर लहरी --शोभा देखते हुए ,रंग रस में डूबे पहुँच गए सौ सीढियां बीस चाँदों सहित पर करके धाम दरवाजा के सम्मुख 
*दरवाजा दो मंदिर का ऊँचा और दो ही मंदिर का चौड़ा हैं |धाम की दीवार से लगते हुए दरवाजे की दोनों तरफ दो चबूतरे हैं सो दो दो मंदिर के चौड़े और चार चार मंदिर के लंबे हैं |उन दोनों चबूतरों की तीनों तरफ पूर्व ,उत्तर ,दक्षिण में रत्न जडित कठेड़े हैं और पश्चिम की तरफ धाम की दीवार हैं |इन दोनों चबूतरों पर बीस थम्भ हैं |जिनका वर्णन इस प्रकार हैं -दस थम्भ तो दीवार के साथ मिले हुए हैं और दस थम्भ चबूतरों की किनार पर हैं |*


धाम दरवाजा दो मंदिर का ऊंचा और दो ही मंदिर का चौड़ा आया है ,बेमिसाल शोभा को धारण किये ..बादशाही दरवाजों से कोट गुनी शोभा हैं धाम दरवाजे की --धाम की दीवार से लगते हुए अर्थात घेर कर आएं बाहिरी हार मंदिरों की दीवार के साथ लगते हुए दो चबूतरे आएं हैं जो चार मंदिर के लंबे और दो मंदिर के चौड़े हैं --धाम दरवाजा के सामने दो मंदिर का लंबा चौड़ा चौक हैं तो इन्ही चौक से एक सीढ़ी ऊंचे यह चबूतरे दो मंदिर के चौड़े आएं हैं--दोनों और आयें इन चबूतरों की पूर्व ,उत्तर और दक्षिन किनार पर कठड़े की शोभा हैं और पश्चिम दिशा की और तो धाम की दीवार हैं दूसरे  शब्दों में कहे रंगमहल के बाहिरी हार मंदिर हैं --

चबूतरों की पूर्व किनार पर दस थम्भ सुशोभित हैं और दस थम्भ दीवार में अकशी आएं हैं 
इस नक़्शे से देखे ..चांदनी चौक ..लाल हरे वृक्ष का निशान मध्य पीली रंग में आयीं दो मंदिर की रोंस जिनसे सीढ़ियों तक पहुँच सकते हैं सीढियां चढ़ कर दो मंदिर का चौक जो हरे रंग में दिखाया हैं और लाल रंग में दोनों और चबूतरे इनकी पश्चिमी किनार पर मंदिर पीली रंग में दो मंदिर के चौक के पश्चिम में धाम दरवाजा का निशा और दो मंदिर का लंबा मंदिर जो दरवाजा का मंदिर कहलाता हैं हरे रंग में 👆👆👆👆👆



*पाँच प्रकार के नंगों के बीस थम्भ हैं ,,अर्थात चार थम्भ हीरा के ,चार माणिक के ,चार पुखराज के ,चार पाच के और चार नीलवी के हैं |इस प्रकार पाँच नंगों के बीस थम्भ हुए |इन बीस थम्भों में बाईस महेराब हैं |इन बाईस महेराबों में से दो मेहराब दोनों गुरजो की हैं और एक एक चबूतरे पर आठ महेराबें हैं उन आठों में से चार चार महेराबे दीवाल पर अकशी (कमान की आकार मात्र )की हैं और चार चार खुली हैं |और दरवाजे की दो महेराबें -एक तो दीवाल पर अकशी की हैं और दूसरी चबूतरे की किनार पर -सीढ़ी पर हैं |ये दोनों महेराबें दो दो मंदिर की चौड़ी और दो दो मंदिर की ऊँची सुशोभित हैं |दोनों चबूतरों की संधि में दो मंदिर का लंबा चौड़ा और दोनों चबूतरों से एक सीढ़ी नीचा चौक हैं |उस चौक के दोनों तरफ दो महेराबें हैं जो दो दो मंदिर की चौड़ी और एक एक मंदिर की ऊँची हैं और दोनों चबूतरों की जो सोलह महेराबें हैं ,वे एक एक मंदिर की चौड़ी और एक एक मंदिर की ऊँची सुशोभित हैं |दोनों गुरजो की जो दो महेराबें हैं वे भी दो दो मंदिर की चौड़ी और एक एक मंदिर ऊँची शोभित हैं |इस प्रकार बाईस महेराब का हिसाब हुआ |*


दरवाजा के दोनों और धाम के मंदिरों की दीवार से लगते हुए जो चबूतरे आयें हैं उनकी पूर्व किनार पर हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और नीलवी के थम्भ सुशोभित हैं और चबूतरों की पश्चिमी किनार पर भी इसी क्रम से थम्भ आयें हैं ( पश्चिमी किनार पर आयें थम्भ अकशी हैं )--इस प्रकार से पांच नंगों के बीस थम्भ सुशोभित हैं --

अब देखते हैं कि चबूतरों की पूर्व किनार पर जो हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और नीलवी नंग के पांच थम्भ खुले आयें हैं उनमें चार चार मेहराबें आयीं हैं ..अति सुन्दर मेहराबे --एक एक मंदिर चौड़ी और एक एक मंदिर की ही ऊंची आयीं हैं --मेहराबे दो दो रंग की मनोहारी शोभा लिये हैं --इसी तरह से दोनों चबूतरो कि पश्चिमी दिशा में चार चार मेहराबे आयीं हैं ..पर यह मेहराब अकशी हैं अर्थात दीवार पर मेहराब की शोभा हैं --एक एक मेहराब गुरजों पर हैं 

धाम दरवाजा की दो मेहराब हुई --एक तो दीवार पर अंकित मेहराब मात्र हैं और दूसरी  मेहराब खुली आयीं हैं जो दो मंदिर चौक की पूर्व किनार पर हैं --सीढ़ी पर हैं यह खुली मेहराब --यह मेहराबे हीरा की हैं जो दो मंदिर की ऊंची और दो मंदिर की ही चौड़ी हैं और एक रंग की हैं 

दोनों चबूतरों के मध्य और धाम दरवाजा के सम्मुख एक सीढ़ी नीचे दो मंदिर का चौक आया हैं --इस चौक के दोनों और  चबूतरों की तरफ हीरा की एक एक मेहराब आयीं हैं  दो मंदिर की ऊंची और दो मंदिर की ही चौड़ी हैं और एक रंग की हैं ---इस प्रकार से दस मंदिर के हान्स पर दो मंदिर के चौक और दोनों और आयें चबूतरों पर आयें थंभों और मेहेराबो का वर्णन हैं 



*दरवाजे में सेंदुरियाँ रंग की चौकठ और दर्पण रंग का किमाड़ हैं |दरवाजे के चारों तरफ हरित रंग का किनार हैं और दरवाजे के बीच में रत्न मनियों की नकशकारी (कटाव)तथा कई सुन्दर सुन्दर पत्र फूल वेलियां देदीप्यमान हैं |प्रातः काल सूर्य की किरणें तथा दरवाजें की किरणें परस्पर युद्ध करती  हैं अर्थात एक की ज्योति दूसरे की ज्योति को ठेलने की चेष्टा करती हुई प्रतीत होती हैं |उस समय यह दृश्य अतीव मनमोहक और आनंदकारी दृष्टिगोचर होता हैं |।*

अब श्री लाल दास जी धाम दरवाजे का अति मनोहारी वर्णन कर रहे हैं --धाम दरवाजा नूरमयी दर्पण रंग का आया हैं और सेंदुरिया रंग जडाव की एक सीढ़ी ऊंची चौखट आयीं हैं और हरे रंग के पल्ले आयें हैं ।दरवाजा के दोनों और ----और  ऊपर लाल मणियों से जड़ित नूरी दीवार आयीं हैं --धाम द्वार की शोभा देखिए --अति मनोहारी शोभा --नूरी दर्पण के दरवाजा में आयीं नकासकारी और सामने आयें वनों और उनमें विचरण करते पशु पक्षियों का चेतन प्रतिबिम्ब --

और इन नूरी दर्पण पर जब अर्श के नूरी सूर्य अपनी किरणों से स्पर्श करे तो वह दृश्य बहुत ही अद्भुत होता हैं --आमने सामने दोनों द्वारों रंगमहल -अक्षर धाम )की नूरी ज्योति जब आपस में टकराती हैं तो बहुत ही अनुपम ,सुखदायी समया होता हैं 

Tuesday, 18 July 2017

dham darvaja

dham darvaja

सखी मेरी ,आज अपनी आत्मिक नजर श्री रंगमहल के सम्मुख चांदनी चौक में लेकर चले ,चांदनी चौक की उज्जवल रेती ,उनके नूर को महसूस करे और देखे दोनों दिशा में कमर भर ऊंचे चबूतरों पर आयें मोहोल माफक नूरमयी वृक्षों की शोभा --

ठीक मध्य में आयीं नग्न जड़ित रोंस से आगे बढ़ते हैं शोभा देखते हुए --यह रोंस सीढ़ियों तक पहुंचाती हैं                        

आगे धाम की विशाल ,अति सुन्दर सीढियां --सीढियां चढ़ते हैं ..अत्यंत ही कोमल गिलम सीढ़ियों पर आयीं हैं कि घुटनों तक पाँव धंस रहे हैं ! गिलम पर सुन्दर चित्रामन आयें हैं और सीढ़ियों के दोनों तरफ किनार पर रत्नों -नंगों से जगमगाते जवेरहातो का नूरमयी कठेड़ा सुशोभित हैं ।कठेड़े में अति सुन्दर नक्काशी आयीं हैं --चित्रामन में जड़ित पशु पक्षी ,पुतलियाँ भी उल्लसित हो रूह का अभिनन्दन कर रही हैं --

पांचवीं सीढ़ी के साथ ही लगे चांदा  की अजब शोभा आयीं हैं ..चांदा और सीढ़ी पर आयीं गिलम का रंग अलग अलग आया हैं --पुनः आगे बढे तो दसवीं ,पंद्रहवीं ..इस तरह से सौ सीढियां बीस चांदों सहित पर करके दो  मंदिर के चौक में पहुंची  
चौक के दाएं बाएं चबूतरो की अपार शोभा आयीं हैं और ठीक सामने नजर पढ़ी तो धाम दरवाजा 



अत्यंत ही सुन्दर शोभा लिये हमारे निजघर का मुख्य द्वार --शोभा को देखे 


दो मंदिर के चौक के ठीक सामने (पशिम दिशा ) में दो मंदिर की लंबी उत्तर से दक्षिन दीवार जो एक मंदिर ऊंची शोभित हैं ..इन दीवार के मध्य में 88  हाथ का नूरमयी दर्पण का किवाड़ (दरवाजा ) आया हैं जिसके बेनी (पल्ले )हरित रंग में हैं और सेंदुरिया रंग जडाव की चौखट की शोभा तो बहुत ही मनोरम हैं --दरवाजे के ऊपर बारह हाथ की नूरी मेहराब शोभित हैं --और दरवाजा के दोनों और 56 -56  हाथ की लाल मणियों जड़ित सुन्दर चित्रामन से सजी नूरमयी दीवार आयीं हैं --


यह शोभा तो हुई धाम दरवाजे के प्रथम भोम की शोभा --अब देखते हैं रूह की नजर से --


धाम दरवाजे के ऊपर आयी बारह हाथ की जो मेहराब आयीं हैं उसके कोण पर और दोनों और लाल माणिक के फूलों की शोभा हैं --इन मेहराब के ठीक ऊपर  तीन हाथ ऊंचा एक झरोखा आया हैं --


दूजी भोम में एक बड़ी मेहराब में नव मेहराबे आयीं हैं --जिनकी शोभा 3+3+3=9 ---तो इस तरह से ह्रदय में बसाते हैं शोभा 


जो ठीक मध्य  की तीन मेहराब हैं  उनमे मध्य की मेहराब में झरोखा आया हैं और दाएं बाएं की मेहराब में नंगों की चित्रामन से युक्त सुन्दर जाली द्वार आयें हैं 



जो दाएं बाएं की तीन तीन मेहराब आयीं हैं --उनके मध्य में दरवाजा आया हैं और दोनों और की मेहराबों में जाली द्वार हैं -यह हुई धाम दरवाजा की दो भोम की मनोहारी शोभा --सखी मेरी रूह के नयनों से निरख



Monday, 17 July 2017

*दोऊ कमाड रंग दरपन*

दोऊ कमाड रंग दरपन

परमधाम में कोई दरवाजा की आवश्यकता नहीं  --रूह विरह प्रेम के मार्ग पर चल जब चितवन के माध्यम से परमधाम पहुँचती हैं तो कोई द्वार नहीं --सब मार्ग स्वयम खुले हुए --मार्ग प्रशस्त करते --रूह को आह्वान करते हुए आओ मेरी लाडली ---अभिनन्दन 

यह शोभा रूह के अखंड आनंद के लिये हैं तभी तो स्वयम श्री राज जी ने श्री महामति जी के माध्यम से परिक्रमा ग्रन्थ में किवाड़ का बेहद ही मनोरम वर्णन किया हैं --

कै मिलावे सोहने, धनी सैयों के खेलोंने  ।
पसू पंखी जूथ मिलत, आगे बडे दरवाजे खेलत  ।। ५९ ।।३परिक्रमा 

अक्षरातीत श्री राज श्री श्यामा जी और सखियों के खिलौने के सामान परमधाम के नूरी पशु पक्षी बड़े ही प्रेम प्रीति के साथ जुत्थ के जुत्थ रंगमहल के बड़े द्वार के सामने चांदनी चौक में क्रीड़ा कर रिझाते हैं  


दोऊ कमाड रंग दरपन, माहें झलकत सामी बन  ।
नंग बेनी पर देत देखाई, ए सोभा कही न जाई  ।। ६० ।।

तारतम वाणी के माध्यम से श्री राज जी अपनी रूहों को धाम दरवाजे के अलौकिक दर्शन करवा रहे हैं --धाम दरवाजा कैसा हैं  ?

धाम द्वार के दोनों किवाड़ दर्पण रंग में सुशोभित हैं --देख तो मेरी सखियों ,दर्पण के किवाड़ में सामने आएं अमृत वन का पड़ता सोहना प्रतिबिम्ब --अमृत वन के नूरी वृक्ष ,उनकी डालियों ,फूलों से सुसज्जित नूरी मेहराबें ,वृक्षों की भौमों के नूरी छज्जे --वनों में खेलते पशु पक्षी ,पिऊपिऊ  तुहि तुहि की गुंजार  --

और देखे --किवाड़ के बॉर्डर (बेनी )पर आयीं सुन्दर ,चेतन नक्काशी --जिनका वर्णन इन जुबान से नहीं हो सकता हैं --रूह के नयनों से ही महसूस कर सकते हैं  --

तो इन अलौकिक शोभा को फेर फेर रूह को दर्शन श्री राज जी करवा रहे हैं --सोच मेरी रूह --तू किन ख़ुशबोय में रहती हैं --कैसा है तेरा निजघर जहाँ अष्ट प्रहार चौसठ घडी तू श्री राज श्री श्यामा जी के संग अखंड सुखों में विलसती हैं और अब क्या हाल है तेरा --यह मोह माया के बंधन तुझे बहुत ही प्रिय हैं जहाँ स्वार्थ ही स्वार्थ है कुछ भी अपना --अपने घर में आ रूह --धनि तुझे फेर फेर अखंड सुखों की याद दिल रहे हैं  --चल निजघर जहाँ

Sunday, 16 July 2017

dham dwar ke sammukh

1⃣धाम  की सौ सीढियां बीस चांदा रूह को कहाँ ले जाकर खड़ा करते हैं ❓    

हे मेरी आत्मा ,खुद को चांदनी चौक में महसूस  कर --चांदनी चौक की मध्य नुरभरी जगमगाती नंगन की दो मंदिर रोंस से धाम की और बढ़ --तेरे दाएं हाथ को लाल वृक्ष हैं और बायीं और हरा वृक्ष --सामने धाम की विशाल सीढियां -
मेरे निजघर की विशाल ,अति मनोहारी सीढियां और एक विशेष शोभा --प्रत्येक पांचवीं सीढ़ी चांदा रूप में आयीं हैं --नूरी ,पिया की आत्मास्वरूपा यह सीढियां मेरी आत्मा को दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक में पहुंचातीं हैं --
 2⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक के चारों कोनों में क्या शोभा आयीं हैं ❓  

दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की शोभा देख --चारों कोनों पर हीरा के अति उज्जवल ,नूरी ,सुखदायी झलकार करते 

चौक की पश्चिम दिशा  की दोनों किनारे पर हीरा के यह थम्भ अकशी आये हैं --दीवार पर चित्रामन के रूप में अद्भुत शोभा लिये --88  हाथ तक थम्भ सीधे गए हैं और 88  हाथ की सुंदर मेहराब नज़रों में आ रही हैं --इन मेहराब के ऊपर 24  हाथ में चित्रकारी आनी  थी पर यह दीवार 104  हाथ की आयीं हैं 

( इन्हीं चौक और दोनों और आएं चबूतरों पर दूसरी भोम में एक छत आती हैं वही तीजी भोम की पड़साल हैं --जो तीसरी भूमिका से तीन हाथ ऊंची शोभित हैं और एक हाथ की जगह तीसरी भोम का छज्जा जो यहाँ नहीं आया हैं तो )

जो चित्रकारी ,नक्काशी 24  हाथ में आनी थी 28  हाथ में आयीं हैं ---मोटे रूप से कह देते हैं कि चौक की छत दो भोम ऊंची हैं पर गहराई से देखे तो छत 204  हाथ ऊंची हैं 

पूर्व दिशा में थंभों पर खुली मेहराब आयीं हैं     

                   
 3⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की नूरी छत कितनी ऊंचाई पर आयीं हैं ❓ 

चौक की छत दो भोम ऊंची हैं पर गहराई से देखे तो छत 204  हाथ ऊंची हैं--                        


4⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की पूर्व दिशा की शोभा का वर्णन करें 

हे मेरी आत्मा --चौक की पूर्व दिशा कि अलौकिक शोभा को अपने धाम ह्रदय में दृढ कर --चौक की पूर्व किनार पर हीरा की खुली अति सुंदर मेहराब --उतरती बादशाही सीढियां --चांदों की अपार शोभा --सीढ़ियों के दोनों किनारों पर उतरते फूलों से सुसज्जित ,कांगरी से सजे कठेड़े की मनोहारी शोभा दिखाई दे रही हैं --सीढियां चांदनी चौक में पहुंचाती हैं --आगे नज़रों में चांदनी चौक की शोभा आ रही हैं झलकारो झलकार --अद्भुत शोभा मेरे धाम की
5⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की पश्चिम दिशा में क्या शोभा आयीं  हैं ❓ 

चौक के पश्चिम दिशा में दोनों किनारों पर हीरा के अकशी थंभों की शोभा आयीं हैं इन पर अकशी मेहराब --मेहराब के ऊपर सुंदर नक्काशी --मेहराब के कोण और दोनों और लाल माणिक के जगमगाते  फूलों की शोभा --

इन सोहनी  मेहराब में धाम दरवाजा की अपार शोभा झलक रही हैं


 6⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की ऊतर दक्षिण की शोभा वर्णन करें ❓      


एक ही पंक्ति में लिखे तो दो मंदिर के चौक की उत्तर दक्षिण दिशा में चौक के साथ लगते दो मंदिर के चौड़े और एक सीढ़ी ऊंचे चबूतरों की शोभा आयीं हैं

हे मेरी सखी  ,खुद को दो मंदिर के चौक में खड़ा कर और पहले देख ऊतर दिशा में आएं चबूतरा की शोभा -चार मंदिर के लंबे और दो मंदिर के चौड़े चबूतरे को निरख --एक सीढ़ी ऊंचा चबूतरा --

दो मंदिर के चौक से चबूतरा पर आ मेरी सखी --पर कैसे मेरे श्री राज जी ?

तो देख मेरी सखी , चबूतरा की और मुख करते ही दो मंदिर के चौक की और आयीं चबूतरा की किनार के मध्य 50  हाथ से एक सीढ़ी चबूतरा पर ले जा रही हैं सीढ़ी के दोनों और 75 -75  हाथ की जगह में अति सुंदर स्वर्णिम कठेड़े की शोभा आयीं हैं --तो इन सीढ़ी से होकर दिल में धनि का मान ले चबूतरा पर आ जा मेरी सखी और देख चबूतरा की अपार शोभा --

नीचे सुन्दर अति कोमल गिलम बिछी हैं और गिलम पर नूरी सिंहासन कुर्सियों की अपार शोभा आयीं हैं और छत पर मोतियों की झलकार लिये सुंदर चंद्रवा सुशोभित हैं -

चबूतरा की पूर्व किनार पर दो मंदिर के चौक की तरफ  से शोभा देखे तो हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और निलवी के थम्भ एक एक मंदिर की दुरी पर आएं हैं -

-(हीरा के थम्भ वहीँ है जो चौक में आये थे )--

थम्बो ने मेहराबे कर दूसरे थम्भ से मिलान किया हैं तो सुन्दर जुगत हुई हैं --दो दो रंगों की मेहराबे शोभित हैं --पांच थंभों के मध्य चार मेहराब हुई -- दो मंदिर के चौक की तरफ से देखे तो पहली मेहराब हीरा-माणिक रंग में है दूसरी माणिक और पुखराज नंग में शोभित हैं ,तीसरी पुखराज और पाच का संगम हैं और चौथी मेहराब पाच और निलवी नंग में सुखदायी झलकार कर रही हैं  ---

थंभों के मध्य सुंदर कठेड़े की शोभा हैं क्योंकि मेरी सखी --आगे भोम भर नीचे चाँदनी चौक की शोभा हैं --

चबूतरा की पश्चिमी किनार मंदिरो से लगी हैं यहाँ भी पूर्व की भांति थंभों की शोभा हैं ..यहाँ पर यह थम्भ अकश मात्र हैं --चबूतरा एक सीढ़ी ऊंचा आया हैं तो एक सीढ़ी नीचे उतर कर मंदिरों में प्रवेश कर सकते है --

चबूतरा की बाहिरी किनार पर नीलवी की मेहराब आयी हैं --दो मंदिर की चौड़ी किनार है जिसमें चांदनी चौक की और से एक मंदिर में कठेड़ा आया हैं आगे 33  हाथ से धाम रोंस पर सीढ़ी उतरी हैं --और सीढ़ी के आगे 66  हाथ ही जगह गुर्ज की शोभा हैं 

इसी तरह से दक्षिण दिशा की शोभा जानना मेरी सखी                        
 चबूतरा की दो भोम आयीं हैं दूसरी भोम में यह झरोखा हुआ

9⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक के उत्तर दक्षिण में चबूतरों की शोभा आयीं हैं उनकी ऊंचाई कितनी हैं ❓ 1⃣0⃣उत्तर/दक्षिण दिशा के चबूतरो की पूर्व किनार पर क्या शोभा आयीं हैं ❓ 1⃣1⃣चबूतरो की पश्चिम दिशा में किनार पर क्या शोभा आयीं हैं ❓ 1⃣2⃣दो मंदिर के चौक से अगर उत्तर या दक्षिण दिशा में आएं चबूतरा पर जाना हैं तो कैसे जायेंगे ❓ इन प्रश्नों का उत्तर भी इसमें शामिल हैं👆👆👆👆

7⃣धाम दरवाजा की शोभा प्रथम भोम में कैसे आयीं हैं ❓                        

8⃣दर्पण रंग के झिलमिलाते धाम द्वार के ऊपर कैसे शोभा आयीं हैं ❓

मेरी सखी ,सौ सीढियां बीस चांदों सहित पार कर जब दो मंदिर के चौक में आते हैं तो सामने दो मंदिर की शोभा लिये धाम दरवाजा की अपार शोभा हैं --पहली भोम में नजर की तो 88  हाथ का दर्पण का नूरी किवाड़ हैं --हरे रंग की बेनी और लाल रंग की एक सीढ़ी ऊंची चौखट आयीं हैं --इन्हीं चौखट पर द्वार की शोभा हैं ---दरवाजे के ऊपर बारह हाथ की नूरी मेहराब शोभित हैं --और दरवाजा के दोनों और 56 -56  हाथ की लाल मणियों जड़ित सुन्दर चित्रामन से सजी नूरमयी दीवार आयीं हैं --

यह शोभा तो हुई धाम दरवाजे के प्रथम भोम की शोभा --अब देखते हैं रूह की नजर से --

धाम दरवाजे के ऊपर आयी बारह हाथ की जो मेहराब आयीं हैं उसके कोण पर और दोनों और लाल माणिक के फूलों की शोभा हैं --इन मेहराब के ठीक ऊपर  तीन हाथ ऊंचा एक झरोखा आया हैं --

दूजी भोम में एक बड़ी मेहराब में नव मेहराबे आयीं हैं --जिनकी शोभा 3+3+3=9 ---तो इस तरह से ह्रदय में बसाते हैं शोभा 

जो ठीक मध्य  की तीन मेहराब हैं  उनमे मध्य की मेहराब में झरोखा आया हैं और दाएं बाएं की मेहराब में नंगों की चित्रामन से युक्त सुन्दर जाली द्वार आयें हैं 

जो दाएं बाएं की तीन तीन मेहराब आयीं हैं --उनके मध्य में दरवाजा आया हैं और दोनों और की मेहराबों में जाली द्वार हैं -यह हुई धाम दरवाजा की दो भोम की मनोहारी शोभा