Tuesday, 27 June 2017

chandni chouk ki chitvan

रंगमहल की पूर्व दिशा में अमृत वन के तीसरे हिस्से में 166 मंदिर का लंबा चौड़ा चांदनी सुशोभित हैं

खुद को महसूस कर मेरी रूह चांदनी चौक में और मुख श्री रंगमहल की और --तो ठीक मध्य में दिखाई दे रही हैं --दो मंदिर की अति सुंदर रंगों नंगों से झिलमिलाती रोंस --देख तो मेरी रूह कैसे तुझे धाम सीढ़ियों तक पहुँचाती हैं

धाम की और बढ़ते समय चांदनी चौक की नूरमयी रेती की नरमाई महसूस होती हैं --मोती हीरा की माफिक जगमगाती धाम की नूरी रेती का तेज आसमान तक झलकता हैं                        
उत्तर हाथ को लाल वृक्ष की शोभा आयीं हैं तो बायीं और हरे वृक्ष की अपार शोभा आयीं हैं

                        सखी चलते हैं अपने दायीं और लाल वृक्ष की और ---रेती में कदम रखे तो दो खुनी ,तीन खुनी ,चौखुनी ,अति नरम रेती में पाँव घुटनों तक धंस रहे हैं                        
 मानो रेती भी रूह को अपने पास रुक जाने को कह रही हैं --सखी रुक ..कुछ पल मुझसे भी गुफ़्तुगू कर                        


रेती की नरमाई ,सुगंधि को महसूस करते हुए ,रेती में अठखेलियां करते हुए लाल वृक्ष की और बढ़ रहे हैं --रेती के नूरी कण मेरी रूह के नूरी तन से स्पर्श कर आभूषण बन खिल उठे हैं


श्री राज जी की मधुर पुकार --आओ मेरी सखी ,चबूतरा पर चले ---सीढ़ियों पर कदम रखे --अत्यंत ही कोमलता लिये सीढ़ी मानों और भी कोमल हो रही हैं कि मेरी सखी आयीं हैं


श्री राज श्यामजी जी के संग हम सखियाँ हाथों में हाथ थामें चबूतरा पर चढ़ कर आएं और धनी जी दिखा रहे हैं चबूतरा की अलौकिक अद्भुत शोभा                        

सर्वप्रथम देखा --चबूतरा को घेर कर आयीं रेलिंग --में वीणा के तार सजे हुए --

रूह ने जैसे ही हाथों से छुआ --मधुर स्वर लहरी --और संगीत की मधुर लहरी के साथ ही सिंहासन कुर्सियां हाजिर चबूतरा पर -आओ मेरी सखियों ,विराजिए                        
 नूरी सखियों पर सखी हम भी बड़ी ही अदा से ,नजाकत से कुर्सियों पर विराजमान हुए --सामने युगल स्वर की मनमोहनी छबि

चबूतरा पर नूरी फूल कुछ इस तरह से बिछे हुए मानों अति कोमल गिलम  बिछा हो                        

नूरी फूलों पत्तियों की अजब शोभा के बीच में एक मंदिर का मोटा तना उठा --     
                   
 अति नूरी शोभा लिये नूरी जगमगाहट से धाम को रोशन करता तना जिसके चारों दिशा में फूलों से सुसज्जित द्वारों की शोभा आयीं हैं                        
 तना सीधा 75  हाथ  सीधा ऊपर जाकर हर दिशा में 34 -34  मेहराबे बड़ा  रहा हैं --डालियों ,फूलो, पत्तियों ने मिलकर अति सुंदर छत दी हैं चबूतरा पर --बीच में सुखदायी झलकार करता हुए नूरमयी ताने की शोभा ,ऊपर फूलों का नूरी चंदवा ,निचे चेतन फूलों ने गिलम पेश की हैं --ऐसे सुंदर समां में युगल पीया जी के संग चबूतरों पर आयीं पीया की आत्म स्वरूप नूरी कुर्सियों पर विराजमान हुए हम --








सामने पशु पक्षियों के जूथ जूथ उमड़ पड़े दीदार के लिये ,प्रेममयी क्रीड़ा करके धाम धनी को रिझावन खातिर                        

मोरो का नृत्य ,पक्षियों की उड़ान --उनके दिल को भाने वाले करतब  और धाम के नूरी बंदरों की कलाबाजियां --कुछ पल इनका आनंद ले अब उठते हैं दूजी भोम के भी कुछ नजारों के दर्शन कर लें हम                        
 यहाँ से उठकर तने में आएं सुंदर द्वार से भीतर प्रवेश किया तो भीतर अत्यंत विशालता लिये विस्तार --फूलों की नूरी बैठके और सुन्दर सीढ़ी चढ़ती हुई --फूलों पत्तियों से सुसज्जित --सुगंधि का आलम और नूर की किरणों से रोशन हर शह --उल्लास में भीगे ,अंग अंग में आनंद झलकता हुआ सीढ़ियों से चढ़कर वृक्ष की दूसरी भोम में आ पहुंचे --
वृक्ष की दूजी भोम --क्या अजब नजारा हैं --33 मंदिर की लंबी चौड़ी फूलों की छत के मध्य से प्रगट होता हुआ वृक्ष का नूरी तना जो 75 हाथ सीधे जाकर डालियाँ बढ़ाकर कर सुन्दर छत्रिमंडल कर मोहोल रूप में शोभित हो रहा हैं --चारों और से खुले फूलों से आच्छादित मेहराबी द्वार --हर जोगबाई फूलों पत्तिययों की --सेज्या ,सिंहासन ,हिंडोले सभी फूलों के अति नरम सुखदायी और तीसरी चांदनी पर फूलों की सुन्दर देहुरी और उस पर आया कलश ध्वजा

chandni chouk ki shobha ()

 प्रणाम जी 

अभी तक शोभा देखी हैं चांदनी चौक की 
तो इन शोभा में उसे होने वाले शब्दों को समझे 

सबसे पहले यह शोभा आती हैं कि रंगमहल की पूर्व दिशा में अमृत वन के तीसरे हिस्से में वन न आकर 166  मंदिर का लम्बा चौड़ा चांदनी चौक आया हैं --

तो यहाँ मंदिर शब्द का उपयोग माप बताने के लिए हुआ हैं ,
मंदिर शब्द महल के लिए उपयोग होता हैं 
जैसे बाहिरि हार 6000  मंदिरो की दो हारे सखियों के सिंगार के मंदिर हैं                        
 शोभा आती हैं कि चांदनी चौक के मध्य में दो मंदिर की चौड़ी रोंस हैं जो धाम सीढ़ियों तक पहुंचाती हैं 

रोंस --रास्ता                                                

चबूतरा --शोभा आती हैं की दायीं और बायीं और कमर भर ऊंचा चबूतरा आया हैं 

तो कमर भर =तीन सीढ़ी

चबूतरा -ठोस जगह जो तीन सीढ़ी ऊंची हैं चांदनी चौक से                                              
 
 भोम भर ऊंचे चबूतरा पर रंगमहल सुशोभित हैं 

भोम भर --एक मंजिल  
                     

Saturday, 24 June 2017

chandni chouk que -ans

                        प्रणाम जी 


चांदनी चौक की शोभा पर कुछ सहूर करे

🌹श्री राज जी की मेहर से अपनी आत्मिक दृष्टि परमधाम में ले कर चलते हैं --रंगमहल के सन्मुख 

चांदनी चौक में खुद को खड़ा महसूस करते हैं 

मुख धाम की और हैं ,रंगमहल की और तो रूह के दाएं ,बाएं हाथ और पीछे की और क्या शोभा हैं ❓

रूह का मुख धाम की और हैं 
सामने नव भोम दसवीं चांदनी के रंगमहल की अलौकिक झलकार हैं 
और रूह देख रहीं हैं दाएं ,बाएं और पीछे की और तो वहां अमृत वन के वृक्षों की अति मनोहारी शोभा हैं ,अमृत वन की दो भोम उनके नूरी छज्जे और अमृत वन में झलकते नेहरे चेहेबच्चों की अपार शोभा हैं 

🌹चांदनी चौक की विशालता रूह निरख रही हैं ,धाम की कोमलता ,चेतनता ,सुंगन्धि महसूस कर रही हैं तो चांदनी चौक कितने मंदिर का लम्बा चौड़ा आया हैं ❓

विशाल चांदनी चौक में खड़ी रूह देख रही हैं 

 166  मंदिर के लम्बे चौड़े चांदनी चौक की अपार शोभा 

🌹चांदनी चौक के ठीक मध्य में क्या शोभा ऐसी रूह देख रही हैं जो रूह को धाम सीढ़ियों तक पहुंचा रही हैं ❓

चांदनी चौक के ठीक मध्य में रूह ने देखी दो मंदिर की चौड़ी नग्न की रोंस की शोभा जो पाट घाट से अमृत वन के मध्य से होते हुए चांदनी चौक में से होते हुए धाम की सीढ़ियों तक पहुंचाती हैं 

🌹पाट घाट से दो मंदिर की चौड़ी रोंस जो चांदनी चौक के मध्य में भी आ रही हैं उनसे चांदनी चौक दो हिस्सों में दिखाई दे रहा हैं तो रूह को दायीं और बायीं और चांदनी चौक में  क्या शोभा नजर आ रही हैं ❓

मध्य रोंस पर खड़ी हैं और देख रही हैं की दायीं और लाल वृक्ष की अलौकिक शोभा आयीं हैं और बायीं और हरे वृक्ष की अपार शोभा हैं 

🌹चांदनी चौक में लाल वृक्ष की शोभा किस तरह से रूह ने देखी और हरे वृक्ष की शोभा भी रूह को क्या दिख रही हैं❓

रूह मध्य रोंस से दायीं और लाल वृक्ष की और चलती हैं ,रेती की नरमाई ,कोमलता ,सुगन्धि रूह महसूस करती हैं --चबूतरा के नजदीर रूह पहुँचती हैं और देखती हैं अति मनोरम शोभा 

तीन सीढ़ी ऊंचा चबूतरा आया हैं 33  मंदिर का लम्बा चौड़ा जिसकी चारों दिशा से तीन तीन सीढ़ियां चौक में उतरी हैं --चबूतरा को घेर कर सीढ़ियों की जगह छोड़कर कर कठेड़ा आया हैं और तीन मध्य में दो भोम तीसरी आकाशी का लाल वृक्ष सुशोभित हैं इसी तरह से हरे वृक्ष की शोभा हैं 

🌹चांदनी चौक की उत्तर ,दक्षिण ,और पूर्व दिशा में अमृत वन के वृक्ष आएं हैं ,रूह देख रही हैं इन वृक्षों की अति मनोहारी शोभा रूह देख रही हैं ,वृक्षों की डालियों ने आपस में मिलान कर मेहराबे डाली हैं ,मेहराबी द्वार से झलकते नेहेरें चहबच्चे ,अठखेलियां करते पशु पक्षी -तो यह वृक्ष कितनी भोम ऊंचे आएं हैं ❓

दो भोम 

🌹और रूह ने इलम से जाना की यह चांदनी चौक रंगमहल के धाम द्वार के सामने आये वन के तीसरे हिस्से में आया हैं ,वहां वन न आकर सुन्दर चौक बना हैं जिसमे अति सुन्दर रेती हीरे ,माणिक के मानिंद बिछी हैं तो इन वन का नाम क्या हैं ❓

अमृत वन