Thursday, 14 September 2017

tiji bhom que-ans

प्रणाम जी 

1⃣सौ सीढ़ियां बीस चांदों सहित चढ़ कर धाम दरवाजे के सम्मुख पहुंचे --दो मंदिर के चौक में 
चौक के दोनों और चबूतरों की शोभा -
दो मंदिर के लम्बे चौड़े चौक और दोनों और आये चार मंदिर के चबूतरे और दूसरी भोम में चार मंदिर के लम्बे झरोखों पर हो दो मंदिर की चौड़ी और दस मंदिर की लम्बी छत आयी हैं वह क्या कहलाती हैं ❓

तीजी भोम की पडसाल

2⃣तीजी भोम की पड़साल के पूर्व किनार पर थम्ब किस प्रकार सुशोभित हैं --रंगों सहित शोभा ❓

छज्जा अर्थात पड़साल की पूर्व किनार पर थम्भ आएं हैं जिनके मध्य कठेड़े की शोभा हैं-यह थम्भ वहीँ हैं जिनकी शोभा प्रथम भोम में हैं--मध्य में दो मंदिर की दुरी पर हीरा  के थम्भ उनमें आयीं दो मंदिर की मेहराब जिनमें छत्र शोभित हैं-आस पास दो दो रंग में मेहराब-हीरा ,माणिक ,पुखराज  ,पाच नीलवी के थम्भो की

3⃣तीजी भोम की पड़साल के पश्चिम में एक मंदिर की चौड़ी और दस मंदिर की लम्बी देहलान की शोभा आयीं हैं --उसका वर्णन विस्तार से --मध्य चार मंदिर की जगह (मुख्य दरवाजे के ठीक ऊपर )में क्या शोभा हैं और उनके दाएं बाएं क्या शोभा हैं ❓

धाम दरवाजा के मंदिर के दोनों और से एक एक मंदिर और लेकर इस जगह में तीजी भोम में चार मंदिर की दहलान आयीं हैं-दहलान के दोनों और तीन तीन मंदिर-दहलान दिखने में तो चार मंदिर की हैं पर लीला मुताबिक़ जरूरत होने पर आसपास के तीन तीन मंदिर भी दहलान में परिवर्तित हो जाते हैं इसलिये इसे दस मंदिर की दहलान से भी जाना जाता हैं

4⃣चार मंदिर की देहलान के पश्चिम में 28  थम्भ के चौक के मध्य जो एक मंदिर की गली हैं उनमे क्या शोभा हैं ❓

चार मंदिर की देहलान और 28 थम्भ के चौक के मध्य एक गली आयी हैं इसी में चार मंदिर का चबूतरा आया हैं

5⃣तीजी भोम की पड़साल ,देहलान और चार मंदिर का चबूतरा ये कितने हाथ ऊंचे सुशोभित हैं ❓

तीन हाथ/कमर भर ऊंचाई

6⃣आसमानी रंग मंदिर श्री श्यामा जी के सिनगार का मंदिर कहाँ आया हैं ❓

खुद को खड़ा करे 28  थम्भ के चौक में-मुख चांदनी चौक की और-दाहिनी और देखा तो दूसरी हार मंदिरो का पहला मंदिर आसमानी  रंग में जहाँ श्री श्यामा जी सिनगार सजती हैं 

7⃣आप श्री राज जी का आभूषणों का सिनगार लीला किन स्थान पर होती हैं ❓

चार मंदिर की देहलान

8⃣चार मंदिर की देहलान के दाएं बाएं तीन तीन मंदिरों से भीतरी गली में सीढ़ियां उतरी हैं वह किस तरह से ❓

दहलान के दोनों और आएं  मंदिर भी तीन सीढ़ी ऊंचे हैं इन मंदिरों की भीतरी दीवाल से मध्य गली में  चांदे  से सीढिया उतरी हैं

9⃣आप श्री युगल स्वरूप राज भोग की लीला के उपरान्त कहाँ विश्राम करते हैं और तब सखियाँ कहाँ होती हैं ❓

चार मंदिर की दहलान के दाहिनी तरफ पहला मंदिर नीला रंग में आया हैं दूसरा नीलो न पिलो और तीसरा मंदिर पीला रंग में शोभित हैं-दो पहर को नीले पीले मंदिर के बीच में जो मंदिर हैं ,उस मंदिर में विश्राम  करते हैं और सर्व सखियाँ तले प्रथम भूमिका में आरोग  के पान की बीड़ी लेकर वन को खेलने जाती हैं|

Friday, 18 August 2017

CHANDNI CHOUK SE LAL CHABUTRA TK

रूह श्री राज जी मेहर उनके जोश का आसरा ले अपनी निज नजर से हद बेहद से परे परमधाम पहुँचती हैं --परमधाम के ठीक मध्य आएं भोम भर ऊंचे चबूतरा की पूर्व दिशा में धाम दरवाजे के सम्मुख चांदनी चौक में आकर रूह सर्वप्रथम चांदनी चौक की शोभा को देखती हैं --विशाल चांदनी चौक की अलौकिक शोभा रूह अपनी नज़रों में बसाती हैं --अमृत वन के तीसरे हिस्से में सुशोभित चौक में हीरा ,मोती ,माणिक के माफक नूरमयी रेती की अपार शोभा हैं जिनकी तेजोमयी ज्योति की झलकार आसमान को छू रही हैं--रूह चांदनी चौक के ठीक मध्य में आयीं रोंस पर आती हैं .नंगों की यह अति सुन्दर रोंस पाट घाट से अमृत वन के मध्य से होती हुई रंगमहल की सीढ़ियों तक ले जाती हैं


रोंस पर खड़ी हैं रूह --उसके दायीं और चबूतरा पर लाल वृक्ष की शोभा हैं और बायीं और हरे वृक्ष की अपार शोभा हैं -चांदनी चौक की उत्तर दक्षिण आवर पूर्व किनार पर अमृत वन के वृक्षों के दो भोम के छज्जे शोभा ले रहे हैं --इन शोभा को निरखती हुई रूह रोंस पर अपने कदम बढ़ाती हुई सीढ़ियों तक पहुँचती हैं --


सीढियां चढ़ कर दो मंदिर के चौक में आ सखी और देख ---श्वेत महक से महकता चौक --चारों कोनों में हीरा के थम्भ --दो भोम ऊंचा यह चौक हैं --चौक के पूर्व में उतरती सीढिया देखी --उत्तर दक्षिन में एक सीढ़ी ऊंचे दो मंदिर के चौड़े और चार मंदिर के चबूतरा आएं हैं --और ठीक सामने नूरी दर्पण का धाम दरवाजा --हरे रंग की बेनी और लाल रंग की एक सीढ़ी ऊंची चौखट --                        

 और अब रूह को चलना हैं यहाँ से खड़ोकली शोभा देखते हुए --तो रूह मेरी बायीं और मुड़कर एक सीधी चढ़कर बायीं और आएं चार मंदिर के चौड़े दो मंदिर के चौड़े चबूतरे पर आतीं हैं --चबूतरा की शोभा देखती हैं रूह --

 चबूतरा की पूर्व किनार पर (चांदनी चौक की और )हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और नीलवी के थम्भ आएं हैं --इन थंभों के मध्य सुन्दर कठेड़े की शोभा हैं और पश्चिमी किनार पर बाहिरी हार मंदिरों की शोभा हैं --नीचे पशमी गिलम ऊपर नूरी चंदवा की झलकार --देखते हुए रूह दक्षिन दिशा की और चलती हुई चबूतरा की दक्षिणी किनार पर आन पहुँचती हैं --यहाँ से एक सीढ़ी नीचे उतर कर रूह धाम रोंस पर आ जाती हैं                        रूह अभी रंगमहल की पूर्व दिशा में और बढ़ रही हैं दक्षिण दिशा की और --रूह की दायीं और रंगमहल के बाहिरी हार मंदिरों की शोभा हैं और बायीं और सात वनों की अपार शोभा हैं --वनों के छत्रीमंडल ने आगे बढ़कर रंगमहल के झरोखों से मिलान किया हैं --तो रूह शोभा देखती हुई वनों के सुगन्धित चंदवा तले चलती हुई दक्षिण पूर्व कोण अमृत कोण में पहुँचती हैं

रूह देखती हैं अग्नि कोण पर रंगमहल की धाम रोंस से एक रूप मिलान करते हुए सोलह हान्स के चहबच्चे की शोभा --चहबच्चे से उठते ऊंचे अत्यंत ऊंचे फव्वारे --यहाँ से रूह अपने दाएं हाथ को मुड़कर रंगमहल की दक्षिण दिशा में आ जाती हैं और बढ़ती हैं पश्चिम दक्षिण कोण की और --नेऋत्य कोण कोण की और --दायीं और रंगमहल की बाहिरी मंदिरों की शोभा --हान्स हान्स में आएं गुरजों की शोभा और बायीं और अर्थात रंगमहल के दक्षिण दिशा में बट पीपल की चौकी की शोभा --
मेरी रूह कुछ पल इन चौकी में रमण करे ,नहरों चेहेबच्चों के ऊपर नूरी बूंदियों की बारिश के बीच धाम धनी संग हिंडोले झूले     दक्षिण दिशा की अपार खुशाल करने वाली शोभा देखते रूह दक्षिण पश्चिन कोण नेऋत्य कोण पर पहुँचती हैं --कोण पर आया सोलह हान्स का नूरी चहबच्चा --यहाँ दायीं और मुड़कर मेरी रूह रंगमहल की पश्चिम दिशा में आ -
अब रूह निरख रही हैं रंगमहक की पश्चिम दिशा में धाम रोंस से लगते फूल बाग़ की अलौकिक शोभा --नहरों चेचेबच्चों की अपार शोभा --उनसे उठते नूरी फव्वारे ,फूलों से प्रतिबिंबित हो कर जल की बुंदिया भी फूल प्रतीत होती हुई ---




फूलबाग में क्रीड़ा करते नूरी पशु पक्षी


फूलबाग में फूलों की नरमाई महसूस करते उनकी सुगंधि में लबरेज होती हुई रूह पश्चिम उत्तर कोण तक पहुँचती हैं


रूह अब वाय्यव कोण पर खड़ी हैं और रूह को चलना हैं ईशान कोण की और --तो रूह अपने दायीं हाथ को मुड़कर रंगमहल की उत्तर दिशा में आती हैं --वाय्यव कोण पर आएं सोलह हान्स के चहबच्चे की शोभा देखते हुए रूह आगे बढ़ रही हैं --दायीं और मंदिरों की शोभा हैं एक एक मंदिर में तीन तीन दरवाजे --और रंगमहल की उत्तर दिशा में अर्थात हमारे बाएं हाथ की और लाल चबूतरा की शोभा हैं --हान्स हान्स में सजी सुन्दर बैठके --रूह वाय्यव कोण से ईशान कोण की और चल रही हैं --1200  मंदिर लाल चबूतरा की शोभा देखते हुए पर किया आगे 300  मंदिर में रंगमहल की उत्तर दिशा में ताड़वन की शोभा आयीं हैं



Tuesday, 1 August 2017

28 THAMBH KA CHOUK QUE-ANS

28 thambh ke chouk se le rasoi ki haveli
1⃣प्रेम प्रणाम जी --

रूह धाम दरवाजा पार करती हैं तो खुद को एक मंदिर की चौड़ी और गोलाई में रंगमहल को घेर कर आयीं अति नूरी गली में देखती हैं --तो इन नूरमयी गली को पार करते ही क्या शोभा रूह की नज़रों में आती हैं ?❓

मेरी सखी ,श्री रंगमहल का मुख्यद्वार नूरी दर्पण का बादशाही शोभा लिये द्वार पार करती हैं तो खुद एक अति नूरमयी गली में महसूस करती हैं ,गली के आगे मनोहारी चौक की शोभा हैं --हमारे निजघर का पहला चौक जो 28  थम्भ का चौक कहलाता हैं --नूर से झिलमिलाता अति नूरमयी चौक
                       

 2⃣28  थम्भ के चौक के पूर्व पश्चिम दिशा में कितने थम्भ आएं हैं ❓                       

सखी मेरी रूह के नयनों से देख ,28  थम्भ के चौक के पूर्व पश्चिम दिशा में दस दस थंभों की रंगों नंगों से जगमगाहट करती अनुपम शोभा   आयीं हैं --थंभों में चेतन नक्काशी मन मोहती हैं और थंभों में मेहराबें उनकी मोहकता तो देखते ही बनती हैं

 3⃣28  थम्भ के चौक के  उत्तर दक्षिन दिशा में कितने थम्भ आएं हैं ❓                       

और 28  थम्भ के चौक के उत्तर दक्षिण दिशा में चार चार थंभों की सोहनी जुगत हैं --

 4⃣रूह 28  थम्ब के चौक में हैं तो उसे चौक के नीचे , ऊपर और चौक को घेर कर क्या शोभा नजर आती हैं❓                       

चेतन ,अति सुन्दर शोभा लिये धाम के इन थंभों को भराए के मोतियों की झालर से सुसज्जित सोहना चंदवा तना हैं,खुशियों ,अखंड आनंद की बरखा करता चंदवा की सुखद झलकार रूह को मुग्ध कर रही हैं और चौक के तले अति नरम पशम बिछी हैं जिन पर सुखदायी  बैठके सजी हैं सखी  ,ये बैठक हमारे लिये ही तो हैं आइये यहाँ बैठ सखियाँ आपस में मीठी मीठी रस भरी बतिया करें

 5⃣रूह 28  थम्ब के चौक को पार करती हैं चौक के आगे एक गली को पार करती हैं तो उसके आगे क्या शोभा हैं जिसमे रूह प्रवेश करेगी अब ❓   

२८ थम्भ के चौक की सुखद शोभा में झील कर सखी चौक को पार करती हैं ,एक नूरे गली भी पार करती हैं तो हैं सामने रसोई की हवेली ,पहली चौरस हवेली

Tuesday, 25 July 2017

dham darvaja que-ans

dham dwar ke sammukh

 1⃣धाम  की सौ सीढियां बीस चांदा रूह को कहाँ ले जाकर खड़ा करते हैं ❓    

हे मेरी आत्मा ,खुद को चांदनी चौक में महसूस  कर --चांदनी चौक की मध्य नुरभरी जगमगाती नंगन की दो मंदिर रोंस से धाम की और बढ़ --तेरे दाएं हाथ को लाल वृक्ष हैं और बायीं और हरा वृक्ष --सामने धाम की विशाल सीढियां -
मेरे निजघर की विशाल ,अति मनोहारी सीढियां और एक विशेष शोभा --प्रत्येक पांचवीं सीढ़ी चांदा रूप में आयीं हैं --नूरी ,पिया की आत्मास्वरूपा यह सीढियां मेरी आत्मा को दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक में पहुंचातीं हैं --
 2⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक के चारों कोनों में क्या शोभा आयीं हैं ❓  

दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की शोभा देख --चारों कोनों पर हीरा के अति उज्जवल ,नूरी ,सुखदायी झलकार करते 

चौक की पश्चिम दिशा  की दोनों किनारे पर हीरा के यह थम्भ अकशी आये हैं --दीवार पर चित्रामन के रूप में अद्भुत शोभा लिये --88  हाथ तक थम्भ सीधे गए हैं और 88  हाथ की सुंदर मेहराब नज़रों में आ रही हैं --इन मेहराब के ऊपर 24  हाथ में चित्रकारी आनी  थी पर यह दीवार 104  हाथ की आयीं हैं 

( इन्हीं चौक और दोनों और आएं चबूतरों पर दूसरी भोम में एक छत आती हैं वही तीजी भोम की पड़साल हैं --जो तीसरी भूमिका से तीन हाथ ऊंची शोभित हैं और एक हाथ की जगह तीसरी भोम का छज्जा जो यहाँ नहीं आया हैं तो )

जो चित्रकारी ,नक्काशी 24  हाथ में आनी थी 28  हाथ में आयीं हैं ---मोटे रूप से कह देते हैं कि चौक की छत दो भोम ऊंची हैं पर गहराई से देखे तो छत 204  हाथ ऊंची हैं 

पूर्व दिशा में थंभों पर खुली मेहराब आयीं हैं     

                   
 3⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की नूरी छत कितनी ऊंचाई पर आयीं हैं ❓ 

चौक की छत दो भोम ऊंची हैं पर गहराई से देखे तो छत 204  हाथ ऊंची हैं--                        


4⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की पूर्व दिशा की शोभा का वर्णन करें 

हे मेरी आत्मा --चौक की पूर्व दिशा कि अलौकिक शोभा को अपने धाम ह्रदय में दृढ कर --चौक की पूर्व किनार पर हीरा की खुली अति सुंदर मेहराब --उतरती बादशाही सीढियां --चांदों की अपार शोभा --सीढ़ियों के दोनों किनारों पर उतरते फूलों से सुसज्जित ,कांगरी से सजे कठेड़े की मनोहारी शोभा दिखाई दे रही हैं --सीढियां चांदनी चौक में पहुंचाती हैं --आगे नज़रों में चांदनी चौक की शोभा आ रही हैं झलकारो झलकार --अद्भुत शोभा मेरे धाम की
5⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की पश्चिम दिशा में क्या शोभा आयीं  हैं ❓ 

चौक के पश्चिम दिशा में दोनों किनारों पर हीरा के अकशी थंभों की शोभा आयीं हैं इन पर अकशी मेहराब --मेहराब के ऊपर सुंदर नक्काशी --मेहराब के कोण और दोनों और लाल माणिक के जगमगाते  फूलों की शोभा --

इन सोहनी  मेहराब में धाम दरवाजा की अपार शोभा झलक रही हैं


 6⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक की ऊतर दक्षिण की शोभा वर्णन करें ❓      


एक ही पंक्ति में लिखे तो दो मंदिर के चौक की उत्तर दक्षिण दिशा में चौक के साथ लगते दो मंदिर के चौड़े और एक सीढ़ी ऊंचे चबूतरों की शोभा आयीं हैं

हे मेरी सखी  ,खुद को दो मंदिर के चौक में खड़ा कर और पहले देख ऊतर दिशा में आएं चबूतरा की शोभा -चार मंदिर के लंबे और दो मंदिर के चौड़े चबूतरे को निरख --एक सीढ़ी ऊंचा चबूतरा --

दो मंदिर के चौक से चबूतरा पर आ मेरी सखी --पर कैसे मेरे श्री राज जी ?

तो देख मेरी सखी , चबूतरा की और मुख करते ही दो मंदिर के चौक की और आयीं चबूतरा की किनार के मध्य 50  हाथ से एक सीढ़ी चबूतरा पर ले जा रही हैं सीढ़ी के दोनों और 75 -75  हाथ की जगह में अति सुंदर स्वर्णिम कठेड़े की शोभा आयीं हैं --तो इन सीढ़ी से होकर दिल में धनि का मान ले चबूतरा पर आ जा मेरी सखी और देख चबूतरा की अपार शोभा --

नीचे सुन्दर अति कोमल गिलम बिछी हैं और गिलम पर नूरी सिंहासन कुर्सियों की अपार शोभा आयीं हैं और छत पर मोतियों की झलकार लिये सुंदर चंद्रवा सुशोभित हैं -

चबूतरा की पूर्व किनार पर दो मंदिर के चौक की तरफ  से शोभा देखे तो हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच और निलवी के थम्भ एक एक मंदिर की दुरी पर आएं हैं -

-(हीरा के थम्भ वहीँ है जो चौक में आये थे )--

थम्बो ने मेहराबे कर दूसरे थम्भ से मिलान किया हैं तो सुन्दर जुगत हुई हैं --दो दो रंगों की मेहराबे शोभित हैं --पांच थंभों के मध्य चार मेहराब हुई -- दो मंदिर के चौक की तरफ से देखे तो पहली मेहराब हीरा-माणिक रंग में है दूसरी माणिक और पुखराज नंग में शोभित हैं ,तीसरी पुखराज और पाच का संगम हैं और चौथी मेहराब पाच और निलवी नंग में सुखदायी झलकार कर रही हैं  ---

थंभों के मध्य सुंदर कठेड़े की शोभा हैं क्योंकि मेरी सखी --आगे भोम भर नीचे चाँदनी चौक की शोभा हैं --

चबूतरा की पश्चिमी किनार मंदिरो से लगी हैं यहाँ भी पूर्व की भांति थंभों की शोभा हैं ..यहाँ पर यह थम्भ अकश मात्र हैं --चबूतरा एक सीढ़ी ऊंचा आया हैं तो एक सीढ़ी नीचे उतर कर मंदिरों में प्रवेश कर सकते है --

चबूतरा की बाहिरी किनार पर नीलवी की मेहराब आयी हैं --दो मंदिर की चौड़ी किनार है जिसमें चांदनी चौक की और से एक मंदिर में कठेड़ा आया हैं आगे 33  हाथ से धाम रोंस पर सीढ़ी उतरी हैं --और सीढ़ी के आगे 66  हाथ ही जगह गुर्ज की शोभा हैं 

इसी तरह से दक्षिण दिशा की शोभा जानना मेरी सखी                        
 चबूतरा की दो भोम आयीं हैं दूसरी भोम में यह झरोखा हुआ

9⃣दो मंदिर के लंबे चौड़े चौक के उत्तर दक्षिण में चबूतरों की शोभा आयीं हैं उनकी ऊंचाई कितनी हैं ❓ 1⃣0⃣उत्तर/दक्षिण दिशा के चबूतरो की पूर्व किनार पर क्या शोभा आयीं हैं ❓ 1⃣1⃣चबूतरो की पश्चिम दिशा में किनार पर क्या शोभा आयीं हैं ❓ 1⃣2⃣दो मंदिर के चौक से अगर उत्तर या दक्षिण दिशा में आएं चबूतरा पर जाना हैं तो कैसे जायेंगे ❓ इन प्रश्नों का उत्तर भी इसमें शामिल हैं👆👆👆👆

7⃣धाम दरवाजा की शोभा प्रथम भोम में कैसे आयीं हैं ❓                        

8⃣दर्पण रंग के झिलमिलाते धाम द्वार के ऊपर कैसे शोभा आयीं हैं ❓

मेरी सखी ,सौ सीढियां बीस चांदों सहित पार कर जब दो मंदिर के चौक में आते हैं तो सामने दो मंदिर की शोभा लिये धाम दरवाजा की अपार शोभा हैं --पहली भोम में नजर की तो 88  हाथ का दर्पण का नूरी किवाड़ हैं --हरे रंग की बेनी और लाल रंग की एक सीढ़ी ऊंची चौखट आयीं हैं --इन्हीं चौखट पर द्वार की शोभा हैं ---दरवाजे के ऊपर बारह हाथ की नूरी मेहराब शोभित हैं --और दरवाजा के दोनों और 56 -56  हाथ की लाल मणियों जड़ित सुन्दर चित्रामन से सजी नूरमयी दीवार आयीं हैं --

यह शोभा तो हुई धाम दरवाजे के प्रथम भोम की शोभा --अब देखते हैं रूह की नजर से --

धाम दरवाजे के ऊपर आयी बारह हाथ की जो मेहराब आयीं हैं उसके कोण पर और दोनों और लाल माणिक के फूलों की शोभा हैं --इन मेहराब के ठीक ऊपर  तीन हाथ ऊंचा एक झरोखा आया हैं --

दूजी भोम में एक बड़ी मेहराब में नव मेहराबे आयीं हैं --जिनकी शोभा 3+3+3=9 ---तो इस तरह से ह्रदय में बसाते हैं शोभा 

जो ठीक मध्य  की तीन मेहराब हैं  उनमे मध्य की मेहराब में झरोखा आया हैं और दाएं बाएं की मेहराब में नंगों की चित्रामन से युक्त सुन्दर जाली द्वार आयें हैं 

जो दाएं बाएं की तीन तीन मेहराब आयीं हैं --उनके मध्य में दरवाजा आया हैं और दोनों और की मेहराबों में जाली द्वार हैं -यह हुई धाम दरवाजा की दो भोम की मनोहारी शोभा