प्रणाम जी
1⃣सौ सीढ़ियां बीस चांदों सहित चढ़ कर धाम दरवाजे के सम्मुख पहुंचे --दो मंदिर के चौक में
चौक के दोनों और चबूतरों की शोभा -
दो मंदिर के लम्बे चौड़े चौक और दोनों और आये चार मंदिर के चबूतरे और दूसरी भोम में चार मंदिर के लम्बे झरोखों पर हो दो मंदिर की चौड़ी और दस मंदिर की लम्बी छत आयी हैं वह क्या कहलाती हैं ❓
तीजी भोम की पडसाल
2⃣तीजी भोम की पड़साल के पूर्व किनार पर थम्ब किस प्रकार सुशोभित हैं --रंगों सहित शोभा ❓
छज्जा अर्थात पड़साल की पूर्व किनार पर थम्भ आएं हैं जिनके मध्य कठेड़े की शोभा हैं-यह थम्भ वहीँ हैं जिनकी शोभा प्रथम भोम में हैं--मध्य में दो मंदिर की दुरी पर हीरा के थम्भ उनमें आयीं दो मंदिर की मेहराब जिनमें छत्र शोभित हैं-आस पास दो दो रंग में मेहराब-हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच नीलवी के थम्भो की
3⃣तीजी भोम की पड़साल के पश्चिम में एक मंदिर की चौड़ी और दस मंदिर की लम्बी देहलान की शोभा आयीं हैं --उसका वर्णन विस्तार से --मध्य चार मंदिर की जगह (मुख्य दरवाजे के ठीक ऊपर )में क्या शोभा हैं और उनके दाएं बाएं क्या शोभा हैं ❓
धाम दरवाजा के मंदिर के दोनों और से एक एक मंदिर और लेकर इस जगह में तीजी भोम में चार मंदिर की दहलान आयीं हैं-दहलान के दोनों और तीन तीन मंदिर-दहलान दिखने में तो चार मंदिर की हैं पर लीला मुताबिक़ जरूरत होने पर आसपास के तीन तीन मंदिर भी दहलान में परिवर्तित हो जाते हैं इसलिये इसे दस मंदिर की दहलान से भी जाना जाता हैं
4⃣चार मंदिर की देहलान के पश्चिम में 28 थम्भ के चौक के मध्य जो एक मंदिर की गली हैं उनमे क्या शोभा हैं ❓
चार मंदिर की देहलान और 28 थम्भ के चौक के मध्य एक गली आयी हैं इसी में चार मंदिर का चबूतरा आया हैं
5⃣तीजी भोम की पड़साल ,देहलान और चार मंदिर का चबूतरा ये कितने हाथ ऊंचे सुशोभित हैं ❓
तीन हाथ/कमर भर ऊंचाई
6⃣आसमानी रंग मंदिर श्री श्यामा जी के सिनगार का मंदिर कहाँ आया हैं ❓
खुद को खड़ा करे 28 थम्भ के चौक में-मुख चांदनी चौक की और-दाहिनी और देखा तो दूसरी हार मंदिरो का पहला मंदिर आसमानी रंग में जहाँ श्री श्यामा जी सिनगार सजती हैं
7⃣आप श्री राज जी का आभूषणों का सिनगार लीला किन स्थान पर होती हैं ❓
चार मंदिर की देहलान
8⃣चार मंदिर की देहलान के दाएं बाएं तीन तीन मंदिरों से भीतरी गली में सीढ़ियां उतरी हैं वह किस तरह से ❓
दहलान के दोनों और आएं मंदिर भी तीन सीढ़ी ऊंचे हैं इन मंदिरों की भीतरी दीवाल से मध्य गली में चांदे से सीढिया उतरी हैं
9⃣आप श्री युगल स्वरूप राज भोग की लीला के उपरान्त कहाँ विश्राम करते हैं और तब सखियाँ कहाँ होती हैं ❓
चार मंदिर की दहलान के दाहिनी तरफ पहला मंदिर नीला रंग में आया हैं दूसरा नीलो न पिलो और तीसरा मंदिर पीला रंग में शोभित हैं-दो पहर को नीले पीले मंदिर के बीच में जो मंदिर हैं ,उस मंदिर में विश्राम करते हैं और सर्व सखियाँ तले प्रथम भूमिका में आरोग के पान की बीड़ी लेकर वन को खेलने जाती हैं|
1⃣सौ सीढ़ियां बीस चांदों सहित चढ़ कर धाम दरवाजे के सम्मुख पहुंचे --दो मंदिर के चौक में
चौक के दोनों और चबूतरों की शोभा -
दो मंदिर के लम्बे चौड़े चौक और दोनों और आये चार मंदिर के चबूतरे और दूसरी भोम में चार मंदिर के लम्बे झरोखों पर हो दो मंदिर की चौड़ी और दस मंदिर की लम्बी छत आयी हैं वह क्या कहलाती हैं ❓
तीजी भोम की पडसाल
2⃣तीजी भोम की पड़साल के पूर्व किनार पर थम्ब किस प्रकार सुशोभित हैं --रंगों सहित शोभा ❓
छज्जा अर्थात पड़साल की पूर्व किनार पर थम्भ आएं हैं जिनके मध्य कठेड़े की शोभा हैं-यह थम्भ वहीँ हैं जिनकी शोभा प्रथम भोम में हैं--मध्य में दो मंदिर की दुरी पर हीरा के थम्भ उनमें आयीं दो मंदिर की मेहराब जिनमें छत्र शोभित हैं-आस पास दो दो रंग में मेहराब-हीरा ,माणिक ,पुखराज ,पाच नीलवी के थम्भो की
3⃣तीजी भोम की पड़साल के पश्चिम में एक मंदिर की चौड़ी और दस मंदिर की लम्बी देहलान की शोभा आयीं हैं --उसका वर्णन विस्तार से --मध्य चार मंदिर की जगह (मुख्य दरवाजे के ठीक ऊपर )में क्या शोभा हैं और उनके दाएं बाएं क्या शोभा हैं ❓
धाम दरवाजा के मंदिर के दोनों और से एक एक मंदिर और लेकर इस जगह में तीजी भोम में चार मंदिर की दहलान आयीं हैं-दहलान के दोनों और तीन तीन मंदिर-दहलान दिखने में तो चार मंदिर की हैं पर लीला मुताबिक़ जरूरत होने पर आसपास के तीन तीन मंदिर भी दहलान में परिवर्तित हो जाते हैं इसलिये इसे दस मंदिर की दहलान से भी जाना जाता हैं
4⃣चार मंदिर की देहलान के पश्चिम में 28 थम्भ के चौक के मध्य जो एक मंदिर की गली हैं उनमे क्या शोभा हैं ❓
चार मंदिर की देहलान और 28 थम्भ के चौक के मध्य एक गली आयी हैं इसी में चार मंदिर का चबूतरा आया हैं
5⃣तीजी भोम की पड़साल ,देहलान और चार मंदिर का चबूतरा ये कितने हाथ ऊंचे सुशोभित हैं ❓
तीन हाथ/कमर भर ऊंचाई
6⃣आसमानी रंग मंदिर श्री श्यामा जी के सिनगार का मंदिर कहाँ आया हैं ❓
खुद को खड़ा करे 28 थम्भ के चौक में-मुख चांदनी चौक की और-दाहिनी और देखा तो दूसरी हार मंदिरो का पहला मंदिर आसमानी रंग में जहाँ श्री श्यामा जी सिनगार सजती हैं
7⃣आप श्री राज जी का आभूषणों का सिनगार लीला किन स्थान पर होती हैं ❓
चार मंदिर की देहलान
8⃣चार मंदिर की देहलान के दाएं बाएं तीन तीन मंदिरों से भीतरी गली में सीढ़ियां उतरी हैं वह किस तरह से ❓
दहलान के दोनों और आएं मंदिर भी तीन सीढ़ी ऊंचे हैं इन मंदिरों की भीतरी दीवाल से मध्य गली में चांदे से सीढिया उतरी हैं
9⃣आप श्री युगल स्वरूप राज भोग की लीला के उपरान्त कहाँ विश्राम करते हैं और तब सखियाँ कहाँ होती हैं ❓
चार मंदिर की दहलान के दाहिनी तरफ पहला मंदिर नीला रंग में आया हैं दूसरा नीलो न पिलो और तीसरा मंदिर पीला रंग में शोभित हैं-दो पहर को नीले पीले मंदिर के बीच में जो मंदिर हैं ,उस मंदिर में विश्राम करते हैं और सर्व सखियाँ तले प्रथम भूमिका में आरोग के पान की बीड़ी लेकर वन को खेलने जाती हैं|